महासमुंद। आज के समय में जिसके पास पैसा है वह कानून को भी खरीदने की ताकत रखता है। यह बात केवल हवा हवाई नहीं बल्कि, जमीनी हकीकत भी यही बयां करती है। यदि ऐसा ना होता तो, जो पुलिस प्रशासन अपराधियों को उनके किए की सजा देने के लिए सलाखों के पीछे डालते हैं वही,पुलिस प्रशासन सलाखों के पीछे अपराधियों को नशे का सामान ना परोसते और ना ही नियम विरुद्ध जाकर प्रतिबंधित लोगों को अपराधियों से मिलवाने की जहमत उठाते।
हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक, महासमुंद जिले के जेल आरक्षक राकेश वर्मा न सिर्फ जेल के अंदर मौजूद अपराधियों के अनैतिक कृत्यों में सहयोग करते हैं बल्कि,नियम विरुद्ध जाकर जेल के अंदर मौजूद अपराधियों को बाहरी लोगों से मिलवाने का काम भी करते हैं। ऐसा करने के एवज में उनका क्या स्वार्थ छुपा होता है यह स्प्ष्ट करने की आवश्यकता नहीं।
जानकारी के मुताबिक राकेश वर्मा जेल के अंदर के अपराधियों को जिला जेल गेट के मुख्य द्वार स्थित गार्ड रूम में तैनात व्यक्ति को अपना आदमी बताते हुए अपने जानकारी से प्रतिबंधित लोगो को प्रतिबंधित समय मे अंदर प्रवेश करवाते है। इतना ही नही उनके इस कृत्य का यदि कोई विरोध करते है तो कहते हैं कि,जेलर से मेरे संबंध हैं और उन के कहने से ही मैं ये काम कर पा रहा हूँ। साथ ही शासकीय वाहन क्रमांक cg 02 3241 उन्हें दिया गया है कहते हैं।
सूत्रों की माने तो नशे के समान, जेल के अंदर बाहरी भोजन एवं बाहरी अपराधों को अंजाम देने के लिये जेल के अंदर रह रहे अपराधियों को आरक्षक राकेश वर्मा का पूरा सहयोग मिलता है।
सूत्रों की माने तो पूर्व में इसी जेल से चार आरोपी भागे थे,जिसमें भी पुलिस आरक्षक राकेश वर्मा के संलिप्तता की बात सामने आई थी। बावजूद इसके अब तक राकेश वर्मा के ऊपर बिना कोई कार्यवाई किए उन्हें खुली छूट देना यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है?