Karnataka New CM: सिद्धारमैया चुने गए कांग्रेस विधायक दल के नेता, डीके शिवकुमार ने रखा नाम का प्रस्ताव, अब राज्यपाल से करेंगे मुलाकात
Karnataka Congress CLP Meeting: कर्नाटक के मनोनीत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) गुरुवार (18 मई) शाम को बेंगलुरु पहुंचे थे. जिसके बाद कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. अब साढ़े आठ बजे राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा.
सिद्धारमैया को कांग्रेस दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव डीके शिवकुमार ने रखा, जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया. कर्नाटक कांग्रेस के नेता रमेश बाबू ने बताया कि हम केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार के नेतृत्व में रात 8.30 बजे राज्यपाल से मिल रहे हैं. हमने समय ले लिया है. डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया और पार्टी के अन्य नेता 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जाएंगे.
20 मई को होगा शपथ ग्रहण
इससे पहले कांग्रेस ने कई दिनों तक चले मंथन के बाद सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की. कर्नाटक की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 20 मई को बेंगलुरु में होगा. सिद्धारमैया और शिवकुमार के साथ कई और मंत्री भी शपथ ले सकते हैं. कांग्रेस ने शपथ ग्रहण समारोह में समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है.
गहन मंथन के बाद की घोषणा
कर्नाटक में विधायक दल का नेता चुनने के लिए पिछले तीन दिनों से कांग्रेस में गहन मंथन का दौर जारी था. सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ अलग-अलग मुलाकात की थी. इसके अलावा दोनों नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ भी बैठक की थी. खरगे ने बुधवार देर रात तक पार्टी के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ मंत्रणा की और फिर गुरुवार को सिद्धारमैया को सीएम बनाने की घोषणा की गई.
पहले भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं सिद्धारमैया
सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आते हैं और वह मई 2013 से मई 2018 के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वहीं कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. वह पिछले करीब तीन वर्षों से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. कांग्रेस ने कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में 135 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि बीजेपी को 66 सीटें मिली थीं.