दिल्ली

Delhi Liquor Scam: केजरीवाल का दावा- कोर्ट ने शराब घोटाले में दी क्‍लीन चिट, फिर सिसोदिया को बेल क्‍यों नहीं

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली के पूर्व डिप्‍टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को फिर झटका लगा है। सलाखों के पीछे से निकलने में अभी उन्‍हें और वक्‍त लग सकता है। सिसोदिया की जूडिशियल कस्‍टडी 23 मई तक बढ़ा दी गई है। राउज एवेन्‍यू कोर्ट ने दिल्‍ली शराब घोटाले में उन्‍हें राहत नहीं दी है। इसके उलट मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) के अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) के तमाम नेता दावा करने में जुटे हैं। वे सभी एक सुर में कह रहे हैं कि शराब घोटाले (Delhi Liquor Scam) में कोर्ट ने क्‍लीन चिट दी है। इसके लिए छह मई के आदेश के कुछ हिस्‍सों का हवाला दिया जा रहा है। इस आदेश में दो आरोपियों राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा को जमानत दी गई थी। हालांकि, आदेश में कहीं नहीं है कि उन्हें बरी कर दिया गया है। सवाल यह भी है कि अगर पहली नजर में कोई मामला नहीं बनता है तो मनीष सिसोदिया को कोर्ट से अब तक कोई राहत क्यों नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका पर विचार करने से क्‍यों इनकार कर दिया।

मनीष सिसोदिया को सोमवार को राजधानी की राउज एवेन्‍यू कोर्ट में पेश किया गया। शराब घोटाले में उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि आज खत्‍म हो रही थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की कस्‍टडी 23 मई तक बढ़ा दी है। यानी जेल से बाहर आने में अभी उन्‍हें और वक्‍त लग सकता है। कोर्ट ने 28 अप्रैल को मनी लॉन्ड्रिंग और सीबीआई की ओर से दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में 31 मार्च को आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

मामले में दो आरोप‍ियों को बेल के बाद AAP का दावा
इसी मामले में बीते दिनों दो आरोपियों को कोर्ट ने जमानत दी। इनके नाम राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा हैं। इन्‍हें दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही जमानत राशि पर राहत दी गई। जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ मामले को प्रथम दृष्टया ‘वास्तविक’ मानने के लिए सबूत पर्याप्त नहीं हैं। इसी आदेश को आधार बनाकर AAP के नेता और सीएम केजरीवाल यह दावा करने में जुट गए हैं कि कोर्ट ने शराब घोटाले में क्‍लीन चिट दे दी है। असलियत यह है कि इन्हें सिर्फ जमानत मिली है। बरी नहीं किया गया है। लोगों को यह नहीं बताया जा रहा है कि कोर्ट का जमानत आदेश उसका फैसला नहीं है।

Manish Tiwari

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