US Bank Crisis: नहीं खत्म हो रहा बैंकिंग संकट, बिक गया एक और बैंक, जानिए क्या होगा खाताधारकों का
नई दिल्ली: अमेरिका में जारी बैंकिंग संकट (US Banking Crisis) खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दो महीने में तीसरा बैंक बंद हो गया है। अमेरिका के फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर ताला लग गया और अब उसे जेपी मॉर्गन ने खरीद लिया है। वित्तीय संकट के बाद अमेरिका के रेगुलेटर एफडीआईसी (FDIC) ने फर्स्ट रिपब्लिक बैंक (First Republic Bank) को सीज कर दिया और उसे जेपी मॉर्गन (JP Morgan) को बेचने पर सहमति जताई है।
2 महीने में डूबा तीसरा बैंक
अमेरिका में बीते कुछ समय से बैंकिंग संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दो महीने में यह तीसरा बड़ा बैंक है, जो डूब गया। इससे पहले सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) और सिग्नेचर बैंक (Signature Bank) डूब चुके हैं। हालांकि ये अभी शुरुआत है। बैंकिंग संकट की चपेट में अमेरिका के कई और रीजनल बैंक आ सकते हैं। वैसे अमेरिका में पिछले 100 साल में 27,000 से ज्यादा बैंक डूब चुके हैं। अमेरिका में 1920 में 31,000 बैंक थे जिनकी संख्या अब 4,100 रह गई है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अमेरिका में कुछ बड़े बैंक ही रह जाएंगे। इसके लिए कई बड़े कारक जिम्मेदार है। लगातार बढ़ रही ब्याज दर इसकी वजह वजह है।
डूबने वाला तीसरा बड़ा बैंक फर्स्ट रिपब्लिक
फर्स्ट रिपब्लिक बैंक की कुल संपत्ति 13 अप्रैल तक 229.1 अरब डॉलर थी। सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के बाद ये अमेरिका का तीसरा बैंक है तो डूब गया है। इसे अब जेपी मॉर्गन खरीद रही है। अब इसे जेपी मॉर्गन बैंक के नाम ने जाना जाएगा। इस अधिग्रहण के बाद जेपी मॉर्गन अमेरिका की सबसे बड़ी बैंकों में शामिल हो जाएगी। बैंक में कुल 103.9 अरब डॉलर का डिपॉजिट है। वहीं फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के खाताधारकों के मन में अपने पैसों और जमा पूंजी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। उनकी जमा पूंजी का क्या होगा?
बैंक के खाताधारकों का क्या होगा
बैंक को अब जेपी मॉर्गन ने खरीद लिया है। अब बैंक के खाताधारकों की जिम्मेदारी जेपी मॉर्गन की होगी। उनकी जमा से लेकर लोन तक की सारी जिम्मेदारी जेपी मॉर्गन के पास होगी। वैसे आपको बता दें कि अमेरिकी में बैंकों के डूबने पर खाताधारकों को कुछ अधिकार मिले है। अगर अमेरिका में कोई बैंक डूबता है तो ग्राहकों को फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन (FDIC) के नियम के तहत जमा वापसी का भरोसा मिलता है। अमेरिका में डिपॉजिटर्स को बैंक डूबने की स्थिति में बैंक में जमा 2.5 लाख डॉलर पर डिपॉजिट इंश्योरेंस मिलता है। यानी इस इंश्योरेंस के तहत बैंक डूबने पर उन्हें कम से कम 2.5 लाख डॉलर जरूर मिलेंगे
भारत में क्या है नियम
भारत में बैंकों के डूबने की स्थिति में ग्राहकों को डिपॉडिट इंश्योरेंस मिलता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया खाताधारकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) की सुविधा देता है। इस इंश्योरेंस के तहत भारत में बैंक के डूबने या दिवालिया होने की स्थिति में ग्राहकों को 5 लाख रुपये गारंटी मिलेंगे। पहले ये इंश्योर्ड अमाउंट एक लाख था, जिसे मोदी सरकार ने बढ़ाकर 5 लाख रुपये कम किया। यानी अगर आपके बैंक खाते में 10 लाख रुपये जमा है और बैंक डूब जाता है तो आपको 5 लाख रुपये निश्चित तौर पर मिलेंगे।